पिछले हफ्ते कुछ अखबारों ने बड़ी खुशी से ये खबर दी की भारत में डॉलर अरबपति की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है. 2021, का साल जो दुनियाभर के ज्यादातर लोगों के लिए एक खौफनाक वक्त था उस साल भारत में 40 नए अरबपति बने.अब इस देश में 126 डॉलर अरबपति है. इन् 126 लोगों की पूँजी मिला कर रु.55 लाख करोड़ की है. इसका मतलब है की इन 126 लोगों के पास इस देश के 80 लाख परिवारों की कुल सम्पति से ज़्यादा सम्पति है.
यह उस 2021 के आंकड़े है जिस साल इस देश में पहले कभी ना देखी गई तेजी से लोगों ने लम्बे समय नौकरी ना मिलने के बाद नौकरी खोजना ही बंद कर दिया। और यह सिर्फ कोरोना महामारी और उसके आर्थिक असर के कारन नहीं है. 2016 से लगातार इस देश में लोग नौकरी मिलने की उम्मीद छोर कर बाजार से बहार जा रहे है. जिसका एक असर यह है की भारत के ज्यादातर परिवारों में एक से अधिक सदस्य के पास रोज़गार नहीं है. 2016 में सिर्फ 34% परिवार थे जिनमे एक से ज़्यादा लोगो के पास काम था. 2021 में यह संख्या 24% हो गई है. 2020 के लॉकडाउन के दौरान यह 17% थी.
तो जिस समय इस देश के ज्यादातर परिवार भुखमरी के करीब जा रहे है उस ही समय कुछ मुट्ठी भर लोग इस देश की पूरी सम्पति अपने पास समेत रहे है.
यह 126 डॉलर अरबपति वर्ग में सबसे ऊपर है मुकेश अम्बानी. मुकेश अम्बानी ने पिछले साल हर एक मिनट रु. 2 लाख अपनी सम्पति में जोड़े. जो हम में से ज्यादातर लोगों को जोड़ने में कम से कम 2 साल लगेगा.
फेयरवर्क इंडिया की नाई रिपोर्ट के अनुसार 2021 में ज्यादातर सामान और खाना डिलीवरी वर्कर्स की आमदनी में गिरावट आई है, पेट्रोल के दाम में बढ़ोत्तरी और कंपनी के कमीशन भड़ने की वजह से.
रिपोर्ट ने यह भी बताया की हर एक डिलीवरी कंपनी अपने मजदूरों को एकजुट हो कर अपनी बात रखने से रोकने के लिए बहुत मेहनत कर रही है. उनका एक बडा मकसद यूनियन ना बनने देना है. बॉस वर्ग यह बात जानता है की एक कर्मचारी एक बड़ी कंपनी के सामने मोहताज और बेबस है.
लेकिन बॉस वर्ग और बॉस वर्ग में भी अरबपति वर्ग आपस में एकजुट है और रोज़ इस देश को लूटने की मशक्कत कर रहा है. और इसका अंजाम हम अपने आसपास की गरीबी, बेबसी और ना-उम्मीदी में देख रहे है.